SWAMI KARPATRI MAHARAJ

He was also a scholor in the Advaita Vedanta tradition of Hindu philosophy


विवाह 👇👇👇





HH Karpatri Maharaj Ji/Hari Narayan Ojha was born spiritual, to pursue an eternal journey. 

He was forcefully married at the age of 9 to Mahadevi Ji, who was even younger. 
He was again forced to have a daughter. At the age of 17, he left them both to start his Political Journey. 
(BOOK- Sri Karpatri Ji Sankshipt Jeevani Vedanti Swami Ji)


करपात्री का सर्व धर्म संभोग (secular karpatri)👇👇👇



(Book- Ramrajya Parishad Adhunik Rajneeti)

शुद्रो से द्वेष 👇👇👇



मनू कर्मानुसार वर्ण व्यवस्था के विरोधी हैं। इसलिए शूद्रों का अधिकार धर्म विवेचन में नहीं होना चाहिए।  (BOOK- vichar piyush)


ओम, होम, शालिग्राम की पूजा तथा गाय का दूध पीने से शूद्र चांडाल बन जाता है।  
(BOOK- vichar piyush, p194)


शूद्र को उपनयन और वेदाध्ययन का अधिकार नहीं है   (BOOK- vichar piyush, p195)


वैदिक संध्या में शूद्र का अधिकार नहीं है, वर्ण जन्म से होता है वर्ण परिवर्तन संभव नहीं है।
(BOOK- vichar piyush p235)


जिस प्रकार पैर मुख नहीं बन सकता, उसी प्रकार शूद्र ब्राह्मण नहीं बन सकता।
(BOOK- vichar piyush, p325)



शूद्र का केवल विवाह संस्कार ही किया जा सकता है, अन्य नहीं।  (BOOK- vichar piyush, p370)



शुद्र का मुख्य काम द्विज की सेवा करना है| (BOOK- vichar piyush, p371)


ब्राहमण और शुद्र कन्या से उत्पन्न बच्चा चंडाल होता है|  (BOOK- vichar piyush)


यहाँ पर करपात्री कह रहे हैं कि ब्राह्मण शूद्र को प्रणाम नहीं कर सकता। केवल शूद्र को ही ब्राह्मणों को प्रणाम करना चाहिए। तुलना कर रहे पिता पुत्र से कि पुत्र ही पिता को प्रणाम करता है। पिता पुत्र को प्रणाम नहीं करता। अर्थात यहाँ पर जो ब्राह्मण हैं वो पिता होता है और शूद्र पुत्र हो जाता है, आगे कहते हैं कि ब्राह्मण शूद्रों को अपमान पूर्वक बुला सकता है। इसमें शूद्रों का, कोई अपमान नहीं।  (BOOK- vichar piyush, p416)



ब्राह्मण अपने से नीचे वर्ण में विवाह कर सकता है, लेकिन शुद्र अपने से ऊंचे वर्ण में विवाह नहीं कर सकता। p607


मुसलमान या ईसाई हिंदू बन ही नहीं सकता है। क्योंकि जातिया तो जन्म से ही होती है। हाँ, ये हो सकता है कि उनके लिए हिंदुओं में एक अलग जाति का निर्माण कर दिया जाए "शोधित हिंदू" के नाम से जिसमे उनलोगों को रखा जाएगा। लेकिन वो लोग ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र में नहीं आ सकते। क्योंकि ये जातियां जन्म से होती है। 
book- (vichar piyush p403)


karpatri का शुद्र से ब्राहमण बनाने का विचित्र विज्ञान  book- (Marksavada aur Ramarajya p222)

करपात्री का स्त्रियों के बारे में विचार 👇👇👇

आगे करपात्रीजी कहते हैं, कि स्त्रियों को बिना अपने किसी घर के संबंधी के बाहर आने जाने नहीं देना चाहिए, जैसा कि सऊदी अरब में होता है। बाहर के व्यक्तियों से स्त्रियों का बोलना सर्वथा असंभव है। यानी वो किसी से बात नहीं कर सकती है। ऐसी अवस्था में यदि अपने ही घर के संबंधियों के साथ व्यभिचार  कर लें, वो  ठीक  है। लेकिन बाहर वालो के साथ दूसरी जाति में करना गलत है।

स्त्रियों में मासिक धर्म शुरू होने के बाद उसके मन में विकार उत्पन्न हो जाते हैं।वो किसी दूसरे पुरुष के साथ गलत कार्य कर सकती है। उसके अंदर लस्ट बढ़ जाता है| इसीलिए स्त्रियों का विवाह रजस्वला से पूर्व अर्थात 10 से 11  वर्ष की अवस्था में कर देनी चाहिए।  book- (Marksavada aur Ramarajya, p222,223)

करपात्री का विज्ञान 👇👇👇

(yajurved{3.6}comentry by karpatri, p127,128)

करपात्री जी अपने यजुर्वेद के भाष्य  में विज्ञान को बताते हुए कहते हैं, कि पृथ्वी रुकी हुई है। सूरज उसके चारों ओर चक्कर लगाता है, और वो ये भी कहते हैं कि ऋषि दयानंद जी ने जो अर्थ किया है कि सूर्य रुका हुआ है, पृथ्वी भ्रमण करती हैं, वो गलत है।


ठरक सम्राट करपात्री  👇👇👇

book- (ज्यूं था त्यूं ठहराया by osho, p45)

करपात्रीजी के अनुसार आदि शंकराचार्य जातिवादी थे 👇👇👇


(BOOK- vichar piyush, p190)

जिन आर्य समाजियों को ये अद्वैत वादी गाली देते है। जिस आर्यसमाज के बारे में केवल बुरा ही करपात्री ने अपनी किताबों में लिखा है। गौ हत्या के विरुद्ध आन्दोलन में उसी आर्य समाज ने उनका साथ दिया था। कहा जाता है कि इन्होंने अकेले ही कर लिया, जबकि आर्य समाज से लेकर के अन्य 20 संप्रदाय के लोग इनका साथ देने के लिए आए थे। करपात्री सबका श्रेय खुद ही लेते है| जिनका साथ लेते है उन्हें ही गालिया देते है ऐसे कृतघ्न व्यक्ति है, हमारे करपात्री जी